एक पति अपनी पत्नी की अर्थी लेकर जा रहा था। अर्थी के आगे एक कुत्ता चल रहा था और अर्थी के पीछे कई सौ आदमियों की लम्बी लाईन भी चल रही थी।
1 आदमी ने आकर पूछा - भाई ये सब कैसे हुआ?
पति - ये जो कुत्ता सामने चल रहा है ना... इस कुत्ते ने काट लिया और मेरी पत्नी का देहांत हो गया।
वो आदमी बोला - क्या तुम एक दिन के लिए ये कुत्ता मुझे दे दोगे?
पति - तुम क्या समझते हो ये जो भीड़ चल रही है मेरी पत्नी के दाह संस्कार में शामिल होने आई है, ये सब इस कुत्ते को लेने आये हैं। जाओ, और पीछे लाईन में लग जाओ।
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संता श्मशान घाट में दहाड़े मार कर रो रहा था - हे भगवान! तुम्हारी जगह भगवान मुझे उठा लेता, तुम क्या गये.. मेरी जिन्दगी बर्बाद हो गई। मेरी जिन्दगी नरक हो गई है, हाय! मैंने अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मार ली।
एक व्यक्ति को संता के इस विलाप पर बड़ी सहानुभूति हुई। वो बोला - क्या हुआ भाई? कौन था मरने वाला - तुम्हारा बच्चा था? रोगी था? तुम्हारी पत्नि या प्रेमिका...?
संता- कुछ ना पूछो यार! ये जो मर गया है मेरी पत्नी का पहला पति था।
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दो पठानो में लड़ाई हो गई।
पहला पठान - हम तेरा कपरा फार के तुमको नंगा कर देगा....
दूसरा पठान - ओए खोचे! सीरियस लराई में रोमेन्टिक बातें मर खरो।
प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (22/11/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
:)
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