Tuesday, March 1, 2011

नौकरानी की जलन, रहमत का फरमाईश, बन्‍ता की जायदाद, फकीर की मजबूरी

नौकरानी अपनी मालकिन सेः क्या बात है बीबी जी आज आप बहुत उदास और परेशान नजर आ रही हैं?
मालकिन (दुखी होकर)- तुम्हारे साहब अपने आफिस में सक्रेटरी के चक्कर में पड़ गये हैं!
नौकरानी अचानक बहुत ही परेशान होकर बोली - नहीं! ऐसा नहीं हो सकता। मैं जानती हूं बीबी जी आप मुझे जलाने के लिए यह सब कह रही हैं।
 

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रहमत उड़नछू ने एफएम रेडियो स्टेशन पर आ रहे प्रोग्राम में फोन लगाया और बोला - हैलो, मुझे एक पर्स मिला है जिसमें 20,000 रूपये मिले हैं, इसमें संता सिंह नाम के व्यक्ति का आईडेन्टी कार्ड भी और क्रेडिट कार्ड भी है
रेडियो जॉकी: आप तो बड़े ईमानदार है, तो क्या आप अब उन्हें उनकी चीजें लौटाना चाहते हैं?
रहमत उड़नछू : नहीं जनाब! मैं तो आपके एफएम रेडियो के द्वारा, आदरणीय संता सिंह जी को समर्पित एक दुखभरा गीत सुनाना चाहता हूँ।
 
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बन्ता (अपनी मीलों फैली जमीन-जायदाद की बड़ाई करते हुए)अगर मैं सुबह अपनी कार में घूमने निकलूं तो रात हो जाती है पर मैं अपनी आधी जमीन भी नहीं देख पाता।
सन्ता (ईर्ष्‍या से भरकर): क्या बताऊं, खटारा और कंडम कार रखने का यही नुक्सान होता है।
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एक फकीर चला जा रहा था: परेशान इमरतलाल को उम्मीद की एक किरण दिखाई दी उसने दौड़ लगाई और बाबा के चरणों में लेट गया। बोला - बाबा मैं अपनी बीवी से बहुत तन्ग हूं, मेरी जिन्दगी नर्क हो गई है, कोई उपाय बताइये बाबा।
फकीर बोला - बच्चा, उपाय मालूम होता तो मैं यूं दर-दर की ठोकरें क्यों खाता फिरता।