Tuesday, February 22, 2011

हास्‍य एक औषधि‍ है


अगर आप कि‍सी भी वि‍षय के संबंध में हास्‍य देख पा रहे हैं , तो यकीनन आप तथ्‍य के बहुत करीब पहुंच गये हैं। यदि‍ गंभीर वि‍चारण, चिंतन मनन में एक मुस्‍कुराहट चमकी है तो नि‍श्‍ि‍चत ही सत्‍य आपके आसपास ही कहीं नि‍कट है। गौतम बुद्ध हों या महावीर जब उन्‍हें ज्ञान प्राप्‍त हुआ होगा तो उनकी आंखों से आंसू नहीं नि‍कले, चेहरे पर मुस्‍कुराहट ही कौंधी होगी।

हास्य संक्रामक होता है। जब हँसी को सब लोगों में बांटा जाता है तो यह लोगों को दिलों को जोड़ती है, आत्मीयता को बढ़ाती है। आमोद-प्रमोद के क्षणों में हमारा मनोरंजन ही नहीं होता, बल्कि हास्य स्वास्थ्यकर शारीरिक परिवर्तनों का कारक भी बनता है। हास्य हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, दर्द को कर्म करता है, तनाव के विध्वंसक प्रभावों से रक्षा करता है, श्वांसों को ऊर्जा से आपूरित करता है। हास्य एक ऐसी औषधि है जो मजेदार है, इस्तेमाल में आसान है और सबसे बढ़कर यह निःशुल्क मिलती है। 
हास्य तन और मन के लिए अचूक औषधि है, तनाव, पीड़ा और द्वंद्व से बचने का अचूक अस्त्र है। एक रोगी भी स्वस्थ हास्य के माध्यम से अपनी बीमारी को बड़ी ही तेजी से पराजित कर पुनः स्वस्थ देह प्राप्त कर सकता है। हास्य जीवन के बोझों को हल्का कर देता है, हमारी आशाओं को प्रेरणा देता है, हमें अन्य लोगों से.. इंसानियत से जोड़ता है। हास्य में पुर्नजीवन की शक्ति है, बाधाओं से उबारने की क्षमता है, रिश्ते बनाने की सामर्थ्‍य है और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य नियमित रखने का गुण है।

हास्य के शारीरिक लाभ
हास्य सम्पूर्ण देह को शांत करता है।
1 अगर आप लगभग आधा घंटा खुलेमन से हंसे तो यह हँसी आपके शारीरिक तनाव को दूर कर मांसपेशियों को शांत कर देगी।
2 हास्य शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। हास्य तनाव पैदा करने वाले हार्मोन्स के उत्सर्जन को कम करता है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले हार्मोन्स और संक्रमण से लड़ने वाले एन्टीबॉडीज के उत्सर्जन को बढ़ाता है।
3. हमारे शरीर के खुशनुमा महसूस कराने वाले हार्मोन्स का उत्सर्जन शुरू करने में हास्य एक बटन की तरह काम करता है। हास्य एन्डोर्फिन नामक रसायन पैदा करने में सहायक होता है।
4. हास्य दिल को सुरक्षित रखता है - हंसने से हमारी रक्तवाहिनियां में रक्त का प्रवाह सुधरता और नियमित होता है। रक्तप्रवाह बढ़ने से इन मांसपेशियों की कसरत हो जाती है और हार्टअटैक और रक्तवाहिनियों/ धमनियों की अन्य समस्याओं से भी बचा जा सकता है।

हास्य के मानसिक लाभ
1 हास्य से हमारे दिल ओ दिमाग में आक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है, जो दिल ओ दिमाग को ताजा करता है। 

2 हास्य हमारे जीवन में खुशी और जिंदादिली लाता है। 3 गुस्से और भय से मुक्त करता है।
4 तनाव को दूर करता है। 5 पुनःस्वास्थ्य प्राप्ति में सहायक है।

मानसिक स्वास्थ्य और हास्य में संबंध
1 हंसते हुए आप गुस्से, अवसाद और दुख का शिकार नहीं हो सकते।
2 हास्य हमें उर्जा, उत्साह का संचार करता है इससे किसी मुद्दे पर अधिक केन्द्रित होकर ध्यान दिया जा सकता है।
3 हास्य दृष्टिकोण बदल देता है - इससे आप किसी बात को अधिक यथार्थपूर्वक देख सकते हैं। 

4 हास्य समस्या और हमारे बीच एक मनोवैज्ञानिक दूरी बनाता है जिससे समस्या हमारे ऊपर हावी नहीं हो पाती और मुद्दे पर हमारी पकड़ मजबूत बनती है। किसी भी मुश्किल में प्रथमदृष्टया ही हताशा का भाव नहीं आता।

हास्य के सामाजिक लाभ
1 आत्मीयता बढ़ती है, रिश्ते मजबूत होते हैं। 2 दूसरे लोग हमारी तरफ आकर्षित होते हैं।
3 परस्पर वैमनस्य और संघर्ष का प्रतिरोधक है। 4 एकता पैदा करता है।
5 रिश्तों को ताजा, और चमत्कारी बनाने में सामूहिक हास्य अधिक प्रभावशाली होता है। किन्हीं बातों को गंभीरतापूर्वक रखने की बजाय हास्यपूर्ण माहौल में रखने पर वह हल्के फुल्के ढंग से ही निपट जाती हैं। हास्य दूसरों के पूर्वाग्रहों, असवेंदना, असहमति और बैरभाव को नष्ट करने वाला साबित हाता है।
6 भय के कारण दबे भाव भी हास्य की पृष्ठभूमि में सतह पर आकर स्पष्ट हो जाते हैं, कुंठाएं निकल जाती हैं। हार्दिक भावों के आदान प्रदान के लिए हास्यापूरित माहौल सर्वश्रेष्ठ है।
7 हास्य हमारी सोच को सकारात्मक रखता है, आशावादी बनाये रखता है, उत्साह और आत्मिक शक्ति को बढ़ाता है। मुश्किल से मुश्किल हालातों में भी हास्य की एक छोटी सी फुलझड़ी सारे बोझिल माहौल को खुशनुमा बना सकती है।
 

हास्य और लोगों से हमारे रिश्ते
सहकर्मियों, परिवारिक सदस्यों और मित्रों से व्यवहार में हास्य महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
हँसना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। जन्म के कुछ दिनों बाद ही शिशु मुस्कुराने लगता है। शिशु के कुछ महीनों बाद की किलकारियां, रोतले से रोतले आदमी के चेहरे पर हँसी ला देती हैं।
 

फिर भी जीवन में जैसे जैसे व्यावसायिकता आदमी पर हावी होती जाती है वह हँसना भूल जाता है। स्त्री गृहस्थी में, पुरूष कार्यस्थलों पर दुनियां की कुटिलताओ में खो जाते हैं। ऐसी ही किन्हीं परिस्थतियों ने यदि आपके जीवन से भी हास्य को कपूर की तरह उड़ा दिया है तो इसे आमंत्रित कीजिए इन उपायों से :
मुस्कुराईये - मुस्कुराना, हँसने का पहला चरण है। हँसने की ही तरह मुस्कुराहट भी छूत की तरह होती है। आप जब भी किसी वस्तु या व्यक्ति की ओर देखें। अपने अधरों पर स्मित लायें, देखें कि चेहरे पर सहज-शांत सौम्यता रहे।
खुशनुमा यादों को किसी कागज पर उतारिये - अच्छे खुशनुमा दिनों की यादें आपके चेहरे पर मुस्कुराहटें और दिमाग में शरारतों की अंगड़ाइयों को पुनः जीवित कर देंगी।
सकारात्मकता हास्य की ओर ले जाती है और हास्य सकारात्मकता लाता है - इसलिए हास्यऔर सकारात्मकता का चोलीदामन का साथ है। तलाशिये की आपके नीरस-गंभीर जिन्दगी में, अभी यहीं आसपास ही कुछ मूर्खताभरा हो रहा है, जिसे देखते ही हँसी के झरने फूट निकलेंगे।
छोटे मोटे घरेलू और आसपास के स्थान पर घूमने जाना भी - माहौल को हल्का करता है। हंसना-खेलना भी जुड़ा है। खेलते वक्त भी आपकी ऊर्जा मुक्त होती हैं संवर्धित होती है, यही काम हास्य में भी होता है। 

दिन भर में कुछ समय मनोरंजक कार्यों और खुशमिजाज लोगों के साथ बितायें। खुशमिजाजी कुछ लोगों की प्रकृति ही होती है, ऐसे लोग जीवन की विद्रूपताओं में से हास्य ढूंढ लेना जानते हैं। ऐसे ही किन्हीं लोगों को ठहाके लगाते प्रश्न करें कि आज किस बेवकूफी पर हंसा जा रहा है और खुद को खिलखिलाने से ना रोकें। हास्य एक दृष्टिकोण है। किसी भी भाषा के उन शब्दों से, जिनसे एक से अधिक निकलते हैं, हास्य निसृत करने की परंपरा है। हर कर्मठ आदमी अपने जीवन में गलतियां करता है, और करते समय या तुरंत बाद में दुखी होता है... लेकिन यही गलतियां एक समय बाद .. किसी को कहानी के रूप में सुनाते वक्त हँसी का साधन बनती है। ऐसी गलतियों को जाहिर करने और दूसरों के अवचेतन से ऐसे हास्य को निकालने की सामथ्र्य सभी महापुरूषों में पाई जाती है।


"याद रखें पैदा होते समय आप रोये, आपके बस में नहीं था.... 
लेकिन आजीवन हँसना आप के वश में है।"

आज के लि‍ये खुराक 
कन्छेदी लाल: भोपाल स्टेशन से ट्रेन में बैठा। उसके बाद वो हर स्टेशन पर उतरता टिकट खरीदता और फिर ट्रेन में चढ़ जाता।
पास ही बैठे एक अन्य यात्री ने पूछा- तुम ही एक ही बार में जहां जाना है उस स्टेशन का टिकट क्यों नहीं ले लेते?
कन्छेदी लाल - क्योंकि मेरी बीमारी ही ऐसी है, डॉक्‍टर ने मना किया है लम्बी यात्रा के लिए।
--------x--------x--------x--------x--------

हनुमान जी के भक्त ब्रहमचारियों की एक मण्डली रामेश्वरम से तीर्थ यात्रा कर बस द्वारा वाया गोवा लौट रही थी। गोवा आने ही वाला था तो मण्डली का मुखिया बोला - इस स्थान से गुजरते समय 60 कि.मी. तक कुमारियां और युवतियां अर्धनग्न अवस्था में दिख सकती हैं इसलिए प्रिय शिष्यो ऐसा कोई भी दृश्य दिखने पर धर्मभ्रष्ट ना हो इसलिए हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दें, इससे तुम्हारा मन विचलित नहीं होगा।
चेतावनी के करीब 3-4 कि.मी. बाद एक ब्रम्हचारी ने हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया।
सारी मण्डली में खुसरपुसर शुरू हो गई। उस ब्रम्हचारी के अगल बगल बैठे मित्र बोले - चालीसा ही पढ़ते जाओगे कि बताओगे भी... क्‍या है ? कहां हैं?

--------x--------x--------x--------x--------

चार दार्शनिक दुनियां की सबसे तेज चीज पर चर्चा कर रहे थे। 
बंता हड़बड़कर बोले - सबसे तेज पलक का झपकना है यही समय को मापने की इकाई भी है।
विपुल बैनर्जी बोले - नहीं जी, सबसे तेज विचार की गति है, आप एक खयाल पर ध्यान नहीं दे पाते कि दूसरा आ जाता है।
चैन्ना स्वामी बोले - सबसे तेज है विद्युत की गति। हम यहां स्विच दबाकर हजारों किलोमीटर दूर अंतरिक्ष की चीजों को नियंत्रित कर सकते हैं।
जब संता अवधूत की बारी आयी तो बोले आप व्यर्थ की चर्चा कर रहे हैं। मैं आपको कल रात की अनुभव सिद्ध घटना बताता हूं। आधी रात को मैं पेट में दर्द की वजह से उठा - मेरी आंख भी नहीं खुली , पलक भी नहीं झपकी , मुझे समझ भी नहीं आया कि कौन सा विचार चल रहा है, मैं लाइट ऑन करने के लिए स्विच की तरफ बढ़ा ही था कि.......... पजामे में ही.......... । इस प्रकार आंत्रशोध यानि दस्त की गति ही सर्वाधिक है।