Friday, February 25, 2011

हंसी का रहस्‍य, स्‍मगलि‍न्‍ग का नया तरीका, समझदार छुटकु और संता का चाइनीज दोस्‍त

शर्मा जी ने नोट किया जब से बगल वाले फ्लैट में वर्मा फैमिली रहने आयी हैं, वहां से हमेशा हंसने की आवाजें आती रहती हैं।
एक दिन शर्मा जी ने वर्मा जी के घर जाकर पूछा - लगता है आप बड़े खुशमिजाज लोग हैं,हमें भी अपने खुशहाल जीवन का राज बताईये ना?
वर्मा जी - अजी खुशहाल जीवन की ऐसी की तैसी, दरअसल जब भी हम मियां बीवी में लड़ाई होती है वो मुझ पर चीजें फेंक फेंक कर मारने लगती है, अगर मुझे लग जाये तो वो हंसती है और ना लगे तो मैं हंस देता हूं, और बच्चे तो दोनों ओर से हंसते ही हैं, बस यही हमारे यहां से हंसने की आवाजें आने की वजह है।
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रूचिकर तथ्य:
  • कुछ लोगों से जब हमने कहा कि प्रार्थना में हमें मांगना नहीं चाहिये तो उन्होंने कुछ अलग ही करना शुरू कर दिया। मुल्ला नसरूद्दीन पिछली रात एक मोटरसाईकिल चुरा लाया और रात भर भगवान से प्रार्थना करता रहा - हे प्रभु मुझे माफ करना।
  • पढ़े लिखे और समझदार में अन्तर होता है। पढ़ा लिखा कहता है -टमाटर एक फल है पर समझदार टमाटर को फ्रूट-सलाद में डालकर खाने नहीं लगता।
  • प्रकाश की गति, ध्वनि से तेज होती है इसलिए कुछ लोग तब तक बहुत अच्छे दिखते हैं जब तक वो मुंह से कुछ बक नहीं देते।
सालों पहले एक ग्रामीण परिवार का एक सदस्य जहांगीर सिंह, विदेश में शादी कर, बीवी बच्चों सहित बस गया, सारी उम्र गुजर गई बस वो कुछेक बार ही गांव आया और वापस विदेश चला गया। उसके बीवी-बच्चों ने गाँव के एक आध बार दर्शन किये लेकिन उन्हें अपने सीधे-सादे रिश्तेदार बहुत अच्छे लगे, उनकी यादों में बस गये। उम्र हुई और जहांगीर सिंह की मृत्यु हो गई। जहांगीर सिंह की आखिरी इच्छा थी कि उसका अंतिम संस्कार उसके गांव में ही किया जाये। इधर विदेश में बच्चों को कामकाज से फुर्सत नहीं मिली और उन्होंने उसकी देह को बाॅक्स में अच्छी तरह व्यवस्थित कर उसके गाँव भेज दिया।
जब गाँव वालों ने क्रियाकर्म करने के लिए बॉक्‍स खोला तो - उसमें जहांगीर के बच्चों का लिखा एक पत्र मिला। लिखा था- आदरणीय चाचा चाची जी, पिता जी की शरीर के ऊपर एक दर्जन चाॅकलेट के पैकेट, 10 पैकेट बबलगम और 10 पैकेट बादाम-काजू के रखे हैं, ये सब बच्चों में बांट देना। पिता जी को हमने रिबोक के जूते पहना दिये हैं जो चाचा जी आपके काम आयेंगे, पिता जी को हमने हेट भी पहना दिया है, ये ताऊ जी को दे देना। पिता की दोनों बाजुओं में एक एक हेंड बेग है, ये चाची और ताई जी के लिए है। पिता जी को हमने 6 शर्ट्स पहना दी हैं, ये सारे परिवार के काम आयेंगी। पिता जी के गले में लाल नगों वाला सोने का नेकलेस, शोभा भाभी के लिए है। मीना दीदी के लिए अंगूठी पिता जी के लेफ्ट हेंड में है। कमाल और गुरनाम भैया के लिए घड़ियां पिता जी के दोनों हाथों में पहना दी हैं। हम लोग अभी दो चार साल के लिए गांव नहीं आ सकेंगे, पर किसी को और किसी चीज की जरूरत हो तो जल्दी ही बता देना, क्योंकि मम्मी की तबीयत भी बहुत खराब है।
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छुटकू: मम्मी मैं अब समझ गया बहुत ही गरीब लोग कैसे होते हैं?
मम्मी: क्यों? कैसे होते हैं गरीब लोग?
छुटकू: कल सीमा ने पचास पैसे क्या निगल लिये उसके मम्मी-पापा तो हैरान परेशान होकर इधर-उधर भागने लगे। 50 पैसे के लिए उसे तुरन्त ही मोटरसाईकिल पर बैठा डॉक्‍टर के पास ले गये।




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संता - मृत्युशैया पर पड़े चाइनीज दोस्त से मिलने हॉस्‍पि‍टल पहुंचा। वह जैसे ही उसके बेड के पास पहुंचा, उसका दोस्त ”चिन यू वान“ कहते हुए कराहा और देह त्याग दी।
संता ने सोचा - आखिरकार मरते वक्त उसने क्या कहा? किसी खजाने या रहस्य की सूचना ही ना हो, यह सोचकर संता अगली फ्लाईट पकड़कर चाईना में उसके घर गया। संता को उन आखिरी शब्दों का जो अर्थ मालूम पड़ा, वो ये था -  ”हटो, तुम मेरी आक्सीजन की नली पर खड़े हो“।

Tuesday, February 22, 2011

हास्‍य एक औषधि‍ है


अगर आप कि‍सी भी वि‍षय के संबंध में हास्‍य देख पा रहे हैं , तो यकीनन आप तथ्‍य के बहुत करीब पहुंच गये हैं। यदि‍ गंभीर वि‍चारण, चिंतन मनन में एक मुस्‍कुराहट चमकी है तो नि‍श्‍ि‍चत ही सत्‍य आपके आसपास ही कहीं नि‍कट है। गौतम बुद्ध हों या महावीर जब उन्‍हें ज्ञान प्राप्‍त हुआ होगा तो उनकी आंखों से आंसू नहीं नि‍कले, चेहरे पर मुस्‍कुराहट ही कौंधी होगी।

हास्य संक्रामक होता है। जब हँसी को सब लोगों में बांटा जाता है तो यह लोगों को दिलों को जोड़ती है, आत्मीयता को बढ़ाती है। आमोद-प्रमोद के क्षणों में हमारा मनोरंजन ही नहीं होता, बल्कि हास्य स्वास्थ्यकर शारीरिक परिवर्तनों का कारक भी बनता है। हास्य हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, दर्द को कर्म करता है, तनाव के विध्वंसक प्रभावों से रक्षा करता है, श्वांसों को ऊर्जा से आपूरित करता है। हास्य एक ऐसी औषधि है जो मजेदार है, इस्तेमाल में आसान है और सबसे बढ़कर यह निःशुल्क मिलती है। 
हास्य तन और मन के लिए अचूक औषधि है, तनाव, पीड़ा और द्वंद्व से बचने का अचूक अस्त्र है। एक रोगी भी स्वस्थ हास्य के माध्यम से अपनी बीमारी को बड़ी ही तेजी से पराजित कर पुनः स्वस्थ देह प्राप्त कर सकता है। हास्य जीवन के बोझों को हल्का कर देता है, हमारी आशाओं को प्रेरणा देता है, हमें अन्य लोगों से.. इंसानियत से जोड़ता है। हास्य में पुर्नजीवन की शक्ति है, बाधाओं से उबारने की क्षमता है, रिश्ते बनाने की सामर्थ्‍य है और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य नियमित रखने का गुण है।

हास्य के शारीरिक लाभ
हास्य सम्पूर्ण देह को शांत करता है।
1 अगर आप लगभग आधा घंटा खुलेमन से हंसे तो यह हँसी आपके शारीरिक तनाव को दूर कर मांसपेशियों को शांत कर देगी।
2 हास्य शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। हास्य तनाव पैदा करने वाले हार्मोन्स के उत्सर्जन को कम करता है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले हार्मोन्स और संक्रमण से लड़ने वाले एन्टीबॉडीज के उत्सर्जन को बढ़ाता है।
3. हमारे शरीर के खुशनुमा महसूस कराने वाले हार्मोन्स का उत्सर्जन शुरू करने में हास्य एक बटन की तरह काम करता है। हास्य एन्डोर्फिन नामक रसायन पैदा करने में सहायक होता है।
4. हास्य दिल को सुरक्षित रखता है - हंसने से हमारी रक्तवाहिनियां में रक्त का प्रवाह सुधरता और नियमित होता है। रक्तप्रवाह बढ़ने से इन मांसपेशियों की कसरत हो जाती है और हार्टअटैक और रक्तवाहिनियों/ धमनियों की अन्य समस्याओं से भी बचा जा सकता है।

हास्य के मानसिक लाभ
1 हास्य से हमारे दिल ओ दिमाग में आक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है, जो दिल ओ दिमाग को ताजा करता है। 

2 हास्य हमारे जीवन में खुशी और जिंदादिली लाता है। 3 गुस्से और भय से मुक्त करता है।
4 तनाव को दूर करता है। 5 पुनःस्वास्थ्य प्राप्ति में सहायक है।

मानसिक स्वास्थ्य और हास्य में संबंध
1 हंसते हुए आप गुस्से, अवसाद और दुख का शिकार नहीं हो सकते।
2 हास्य हमें उर्जा, उत्साह का संचार करता है इससे किसी मुद्दे पर अधिक केन्द्रित होकर ध्यान दिया जा सकता है।
3 हास्य दृष्टिकोण बदल देता है - इससे आप किसी बात को अधिक यथार्थपूर्वक देख सकते हैं। 

4 हास्य समस्या और हमारे बीच एक मनोवैज्ञानिक दूरी बनाता है जिससे समस्या हमारे ऊपर हावी नहीं हो पाती और मुद्दे पर हमारी पकड़ मजबूत बनती है। किसी भी मुश्किल में प्रथमदृष्टया ही हताशा का भाव नहीं आता।

हास्य के सामाजिक लाभ
1 आत्मीयता बढ़ती है, रिश्ते मजबूत होते हैं। 2 दूसरे लोग हमारी तरफ आकर्षित होते हैं।
3 परस्पर वैमनस्य और संघर्ष का प्रतिरोधक है। 4 एकता पैदा करता है।
5 रिश्तों को ताजा, और चमत्कारी बनाने में सामूहिक हास्य अधिक प्रभावशाली होता है। किन्हीं बातों को गंभीरतापूर्वक रखने की बजाय हास्यपूर्ण माहौल में रखने पर वह हल्के फुल्के ढंग से ही निपट जाती हैं। हास्य दूसरों के पूर्वाग्रहों, असवेंदना, असहमति और बैरभाव को नष्ट करने वाला साबित हाता है।
6 भय के कारण दबे भाव भी हास्य की पृष्ठभूमि में सतह पर आकर स्पष्ट हो जाते हैं, कुंठाएं निकल जाती हैं। हार्दिक भावों के आदान प्रदान के लिए हास्यापूरित माहौल सर्वश्रेष्ठ है।
7 हास्य हमारी सोच को सकारात्मक रखता है, आशावादी बनाये रखता है, उत्साह और आत्मिक शक्ति को बढ़ाता है। मुश्किल से मुश्किल हालातों में भी हास्य की एक छोटी सी फुलझड़ी सारे बोझिल माहौल को खुशनुमा बना सकती है।
 

हास्य और लोगों से हमारे रिश्ते
सहकर्मियों, परिवारिक सदस्यों और मित्रों से व्यवहार में हास्य महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
हँसना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। जन्म के कुछ दिनों बाद ही शिशु मुस्कुराने लगता है। शिशु के कुछ महीनों बाद की किलकारियां, रोतले से रोतले आदमी के चेहरे पर हँसी ला देती हैं।
 

फिर भी जीवन में जैसे जैसे व्यावसायिकता आदमी पर हावी होती जाती है वह हँसना भूल जाता है। स्त्री गृहस्थी में, पुरूष कार्यस्थलों पर दुनियां की कुटिलताओ में खो जाते हैं। ऐसी ही किन्हीं परिस्थतियों ने यदि आपके जीवन से भी हास्य को कपूर की तरह उड़ा दिया है तो इसे आमंत्रित कीजिए इन उपायों से :
मुस्कुराईये - मुस्कुराना, हँसने का पहला चरण है। हँसने की ही तरह मुस्कुराहट भी छूत की तरह होती है। आप जब भी किसी वस्तु या व्यक्ति की ओर देखें। अपने अधरों पर स्मित लायें, देखें कि चेहरे पर सहज-शांत सौम्यता रहे।
खुशनुमा यादों को किसी कागज पर उतारिये - अच्छे खुशनुमा दिनों की यादें आपके चेहरे पर मुस्कुराहटें और दिमाग में शरारतों की अंगड़ाइयों को पुनः जीवित कर देंगी।
सकारात्मकता हास्य की ओर ले जाती है और हास्य सकारात्मकता लाता है - इसलिए हास्यऔर सकारात्मकता का चोलीदामन का साथ है। तलाशिये की आपके नीरस-गंभीर जिन्दगी में, अभी यहीं आसपास ही कुछ मूर्खताभरा हो रहा है, जिसे देखते ही हँसी के झरने फूट निकलेंगे।
छोटे मोटे घरेलू और आसपास के स्थान पर घूमने जाना भी - माहौल को हल्का करता है। हंसना-खेलना भी जुड़ा है। खेलते वक्त भी आपकी ऊर्जा मुक्त होती हैं संवर्धित होती है, यही काम हास्य में भी होता है। 

दिन भर में कुछ समय मनोरंजक कार्यों और खुशमिजाज लोगों के साथ बितायें। खुशमिजाजी कुछ लोगों की प्रकृति ही होती है, ऐसे लोग जीवन की विद्रूपताओं में से हास्य ढूंढ लेना जानते हैं। ऐसे ही किन्हीं लोगों को ठहाके लगाते प्रश्न करें कि आज किस बेवकूफी पर हंसा जा रहा है और खुद को खिलखिलाने से ना रोकें। हास्य एक दृष्टिकोण है। किसी भी भाषा के उन शब्दों से, जिनसे एक से अधिक निकलते हैं, हास्य निसृत करने की परंपरा है। हर कर्मठ आदमी अपने जीवन में गलतियां करता है, और करते समय या तुरंत बाद में दुखी होता है... लेकिन यही गलतियां एक समय बाद .. किसी को कहानी के रूप में सुनाते वक्त हँसी का साधन बनती है। ऐसी गलतियों को जाहिर करने और दूसरों के अवचेतन से ऐसे हास्य को निकालने की सामथ्र्य सभी महापुरूषों में पाई जाती है।


"याद रखें पैदा होते समय आप रोये, आपके बस में नहीं था.... 
लेकिन आजीवन हँसना आप के वश में है।"

आज के लि‍ये खुराक 
कन्छेदी लाल: भोपाल स्टेशन से ट्रेन में बैठा। उसके बाद वो हर स्टेशन पर उतरता टिकट खरीदता और फिर ट्रेन में चढ़ जाता।
पास ही बैठे एक अन्य यात्री ने पूछा- तुम ही एक ही बार में जहां जाना है उस स्टेशन का टिकट क्यों नहीं ले लेते?
कन्छेदी लाल - क्योंकि मेरी बीमारी ही ऐसी है, डॉक्‍टर ने मना किया है लम्बी यात्रा के लिए।
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हनुमान जी के भक्त ब्रहमचारियों की एक मण्डली रामेश्वरम से तीर्थ यात्रा कर बस द्वारा वाया गोवा लौट रही थी। गोवा आने ही वाला था तो मण्डली का मुखिया बोला - इस स्थान से गुजरते समय 60 कि.मी. तक कुमारियां और युवतियां अर्धनग्न अवस्था में दिख सकती हैं इसलिए प्रिय शिष्यो ऐसा कोई भी दृश्य दिखने पर धर्मभ्रष्ट ना हो इसलिए हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दें, इससे तुम्हारा मन विचलित नहीं होगा।
चेतावनी के करीब 3-4 कि.मी. बाद एक ब्रम्हचारी ने हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया।
सारी मण्डली में खुसरपुसर शुरू हो गई। उस ब्रम्हचारी के अगल बगल बैठे मित्र बोले - चालीसा ही पढ़ते जाओगे कि बताओगे भी... क्‍या है ? कहां हैं?

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चार दार्शनिक दुनियां की सबसे तेज चीज पर चर्चा कर रहे थे। 
बंता हड़बड़कर बोले - सबसे तेज पलक का झपकना है यही समय को मापने की इकाई भी है।
विपुल बैनर्जी बोले - नहीं जी, सबसे तेज विचार की गति है, आप एक खयाल पर ध्यान नहीं दे पाते कि दूसरा आ जाता है।
चैन्ना स्वामी बोले - सबसे तेज है विद्युत की गति। हम यहां स्विच दबाकर हजारों किलोमीटर दूर अंतरिक्ष की चीजों को नियंत्रित कर सकते हैं।
जब संता अवधूत की बारी आयी तो बोले आप व्यर्थ की चर्चा कर रहे हैं। मैं आपको कल रात की अनुभव सिद्ध घटना बताता हूं। आधी रात को मैं पेट में दर्द की वजह से उठा - मेरी आंख भी नहीं खुली , पलक भी नहीं झपकी , मुझे समझ भी नहीं आया कि कौन सा विचार चल रहा है, मैं लाइट ऑन करने के लिए स्विच की तरफ बढ़ा ही था कि.......... पजामे में ही.......... । इस प्रकार आंत्रशोध यानि दस्त की गति ही सर्वाधिक है।

Friday, February 18, 2011

भौति‍कवादी चेलारमानी, नाक में उंगलि‍यां, एक बहरा और खून क्‍यों मैच करता है

अध्यापक: एक ऐसे व्यक्ति को क्या कहेंगे जिसे सुनाई ना देता हो?
बंटी: सर, आप उसे कुछ भी कह सकते हैं, उसे सुनाई तो देगा नहीं।
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आधी रात को (घबराई हुई) बीवी: उठो कोई चोर हमारे किचन में घुस आया है और मेरा बनाया हुआ केक खा रहा है।
पति (जम्हाई लेते हुए): किसको बुलाऊं, पुलिस को या एम्ब्यूलेंस को?
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अगर आप का बच्चा नाक या कान में उंगलियां करता रहता है तो उसका सीधा सा उपाय है। आप उसकी निक्कर की इलास्टिक निकाल दें, इससे उसके हाथ हर समय निक्कर को संभाले रखने में व्यस्त रहेंगे, और वो नाक या कान में उंगलियां नहीं कर पायेगा।
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कंजूस चेलारमानी की नई नवेली बीएमडब्ल्यू कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
पुलिस आयी और पुलिस वालों में से एक अफसर रोते हुए चेलारमानी को देखकर बोला -
मुझे समझ नहीं आता आप इतने परेशान क्यों हो रहे हैं? आप ने जब से दुर्घटना हुई है रो रो कर बुरा हाल कर लिया है? आप यह शुक्र क्यों नहीं मनाते कि आप इस दुर्घटना में जीवित बच गये हैं? आपके एक बाजू और हाथ कट गये तो क्या हुआ दूसरे तो सही सलामत हैं ना?
चेलारमानी ने फिर से दहाड़े मार मार कर रोना शुरू कर दिया। अब वो रोते हुए बार-बार हाय मेरी नई बीएमडब्ल्यू नहीं, कह रहा था। अब वो कह रहा था हाय मेरी नई रोलेक्स वॉच !!!
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डॉक्‍टर बीमार मरीज से: सर आपका और आपकी बीवी का ब्लड ग्रुप मैच करता है, आपको चढ़ाया जा सकता है।
मरीज: क्यों नही मैच करेगा डॉक्‍टर साहब, शादी के बाद 20 सालों से वो मेरा खून ही तो चूस रही है।

Tuesday, February 8, 2011

जीवन की मनुहार, अन्‍नुमलि‍क का प्‍यार, पहलवान की हकीकत, पंडि‍त संतराम की मुसीबत

डॉक्‍टर बंता से: बच्चे को उबाल कर पानी पिलाना।
बंता: बच्चे को उबालूंगा तो वो मर तो नहीं जायेगा?
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फिल्म में जीवन खलनायक था, हिरोईन को छेड़ते हुए बोला - जानेमन इस दिल में चली आओ?
हिरोईन - गुस्से से, सेंडिल उतारूं क्या?
जीवन - नहीं जानेमन मेरा दिल मंदिर-मस्जिद नहीं है ना, तुम सेंडिल पहनकर भी आ सकती हो।
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बेटे ने अन्नुमलिक से पूछा - पापा 2 और 12 जोड़ने पर कितने होते हैं?
अन्नुमलिक: गधे की औलाद, तुम नालायक ही रहोगे, इतने बड़े हो गये हो फिर भी तुम्हें कुछ नहीं आता, जाओ अन्दर से कैल्क्यूलेटर लेकर आओ।
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एक भिखारी ने डोमिनो पिज्जा हट वालों को आर्डर किया  - हैलो पिज्जा हट?
पिज्जा हट - यस सर कहिये हम आपकी क्या सेवा कर सकते हैं?
भिखारी - एक बड़ा पिज्जा, फिंगर्स और डेढ़ ली. की पेप्सी भेज दो।
पिज्जा हट- आर्डर किसके नाम से बनाकर, कहां भेज दूं सर?
भिखारी - अल्लाह के नाम पर, रेल्वे स्टेशन के सामने।
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दगड़ू पहलवान ने किस्सा सुनाया -
हमारी बस रात को एक जंगल से गुजर रही थी। मुझे पेशाब आया तो मैंने बस रूकवा ली और जंगल के अन्दर चला गया। मैं पेशाब करने ही वाला था कि सामने शेर आ गया।
श्रोता - तो फिर क्या हुआ?
दगड़ू पहलवान - फिर क्या होना था, मैंने शेर से कहा, मेरी तो निकल गई है, तुम्हें भी पेशाब वगैरह करनी है तो कर लो।

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एक दिन पत्नी मूड में थी... उसे संतराम पर प्यार आया तो उसका सिर गोद में रखकर सहलाते हुए उसने पूछा - कैसा लग रहा है जी?
पंडित संतराम - बस ऐसा लग रहा है मैं भगवान विष्णु हूँ और शेषनाग की शैया पर लेटा हुआ हूँ।

Thursday, February 3, 2011

खली के घर बच्‍चा और बच्‍चों की जि‍न्‍दगी


खली के घर में 10 साल बाद संतान हुई। बेटा पैदा हुआ। सारा परिवार खुश था। लोग बधाईयां गा रहे थे और मिठाईयां बांट रहे थे,  लेकिन खली का हाल ही और था ।
एक आदमी ने पूछा - भाई खली, इतने परेशान क्यों हो ? ऐसा लग रहा है बेटा पैदा होने की तुम्हें जरा भी खुशी नहीं।
खली बोला - एक तो दस साल बाद मेरी कोई औलाद हुई है, अब बच्चा हुआ है तो इतना छोटा .... बस बित्ते भर का, लोग कहीं मेरी बीवी पर शक ना करें कि ये बेटा मेरा ही है या....। मैं तो यही सोचकर परेशान हूं भाई।
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शिक्षक - अपने मां बाप का कहना मानोगे, उनके हिसाब से चलोगे
बच्चे - बिल्कुल मानंगे।
शिक्षक - बच्चों वचन दो की शराब, सिगरेट नहीं पियोगे।
बच्चे - नहीं पियेंगे
शिक्षक - स्कूल, कॉलेज बंक कर पिक्चर देखने या आवारागर्दी करने नहीं जाओगे।
बच्चे - नहीं जायेंगे।
शिक्षक - लड़कियों का पीछा नहीं करोगे, उन पर फब्तियां नहीं कसोगे।
बच्चे - नहीं करेंगे।
शिक्षक - समाज की सेवा करते हुए देश पर मर मिटोगे।
बच्चे - इतना सब आपके हिसाब से करने के बाद, जिन्दगी जीने लायक रह भी नहीं जायेगी, बिल्कुल मर मिटेंगे सर।

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जज - तुमने औरतों के सूट साड़ि‍यों की दुकान से कपड़े चुराये हैं, लेकि‍न तुमने कहा कि‍ तुम दुकान में 3 बार गये, ऐसा क्‍यों ?
 चोर - जज साहब, पहली दो बार में मैं जो सूट और साड़ि‍यां लेकर गया था, वो मेरी घरवाली को पसंद ही नहीं आये।