Tuesday, June 8, 2010

8 जून 2010 को

इंग्लैंड और फ्रांस के बीच चैनल टनल बनाने बनाने के लिए टेंडर, निविदाएं आमंत्रित की गईं। कई अंतर्राष्ट्रीय बिल्डर्स ने इसमें बढ़चढ़कर भाग लिया। इसमें बहुत ही तकनीकी कुशलता की आवश्यकता थी तो अंग्रेजों और फ्रांसिसी ठेकेदारों की बोली 200 करोड़ के आसपास रही।
पर जब बोर्ड आफ डायरेक्टर्स ने टेंडर खोले तो पाया कि भारत से सिंग एंड सिंग कंपनी द्वारा केवल 5 करोड़ में ये काम करने का ठेका मांगा गया है। बोर्ड ने पहले तो सिंग एंड सिंग कंपनी को बाहर कर देना चाहा पर उत्सुकतावश इसके मालिकों संता और बंता को बुलाया।
संता और बंता बोर्ड के सामने हाजिर हुए।
चेयरमेन - क्या आपको इस तरह के काम का पहले से कोई अनुभव है?
संता और बंता - हां जी, हमने पंजाब और हरियाणा में लाखों बोरवेल किये हैं हम दुनियां में कहीं से कहीं तक भी छेद कर सकते हैं।
चेयरमेन - पर ये इतना आसान नहीं है, बताईये आप इस काम को कैसे करेंगे?
बंता - सिम्पल जी, संता सिंह इंग्लैंड की ओर से होल करना शुरू करेगा और मैं फ्रांस की तरफ से।
चेयरमेन हैरान रह गया - तुम लोग नहीं समझ रहे हो इसमें अति सूक्ष्म एक्यूरेसी... मापजोख चाहिये ताकि दो सुरंगों के सिरे आपस में एक नियत जगह पर ही मिलें। सारी कंपनियों ने 200 करोड़ का अंदाजा लगाया है और तुम लोग केवल 5 करोड़ की बात कर रहे हो, यह कैसे संभव है?
संता बंता: आप क्यों परेशान हो रहे हैं सर अगर हमारी दो सुरंगे आपस में नहीं भी मिलती तो क्या हुआ, आपको तो एक ही सुरंग के भाव में दो सुरंगे मिल जायेंगी ना।
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मौका मिलते ही एक छात्र बार बार सीट से लगी खिड़की से झांक कर बाहर देख रहा था।
शिक्षक - क्यों भई बताओ कि तुम स्कूल क्यों आते हो?
छात्र - विद्या के लिए।
शिक्षक - तो फिर बार-बार खिड़की से बाहर क्यों झांक रहे हो?
छात्र - सर, आज विद्या अभी तक नहीं आई।
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चिंटू पुरानी एलबम देखते हुए.. मम्मी ये फोटो में आपके साथ इतना स्मार्ट कौन है?
मम्मी (चिंटू से)- ये तुम्हारे पापा हैं।
चिंटू- तो हम इस गंजे के साथ क्यों रहते हैं।
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पति (पत्नी से)- अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं पागल हो जाऊंगा।
पत्नी (पति से)- दूसरी शादी तो नही करोगे ना?
पति- पागल का क्या है, वो तो कुछ भी कर सकता है।
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मरीज (डॉक्टर से)- डॉक्टर साहब क्या आप मेरी बीमारी का पता लगा सकते हैं।
डॉक्टर (गुस्से से)- हां तुम्हारी आंखें बहुत कमजोर हैं।
मरीज- आपको कैसे पता चला?
डॉक्टर- तुमने बाहर बोर्ड पर नही पढ़ा कि मैं जानवरों का डॉक्टर हूं।
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एक महिला ट्रेन से उतरी, उसने संता से पूछा ये कौन-सा स्टेशन है?
संता ने सोचा..सोचा..बहुत सोचा फिर बोला बहनजी ये रेलवे स्टेशन है।
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पति-पत्नी की जबरदस्त लड़ाई के बाद पत्नी भगवान से बोली।
अगर ये गलत हैं तो इन्हें उठा लो और अगर मैं गलत हूं तो मुझे विधवा बना दो।

3 comments:

  1. Smile. It's the second best thing you can do with your lips.
    CHEEKY ;)
    Bau jee, tussi chakke fat ditte!

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  2. आपकी यह रचना मजेदार है.
    अब अगली का इंतज़ार है...

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  3. जिन्दा लोगों की तलाश! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!

    काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
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    उक्त शीर्षक पढकर अटपटा जरूर लग रहा होगा, लेकिन सच में इस देश को कुछ जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है।

    आग्रह है कि बूंद से सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो निश्चय ही विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।

    हम ऐसे कुछ जिन्दा लोगों की तलाश में हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।

    इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।

    अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।

    अतः हमें समझना होगा कि आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।

    शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-

    सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?

    जो भी व्यक्ति स्वेच्छा से इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-
    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, राष्ट्रीय अध्यक्ष
    भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
    7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
    फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

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फोलो करेंगें तो आपके डेशबार्ड पर चुटकुले तुरन्‍त पहुंच जायेंगे।