Monday, December 27, 2010

सेर को....सवा सेर


हनीमून से लौटकर सैफ अली बहुत परेशान थे।
सैफ के दोस्त ने पूछा क्या हुआ मियां - सब ठीक ठाक तो है। बड़े परेशान नजर आ रहे हो।
सैफ - बात ही कुछ ऐसी है यार।
दोस्त - क्यों क्या हुआ?
सैफ - सुहागरात के दूजे दिन जब मैं सुबह उठा तो गलती से, आदतन मैंने 1000 रू. उसके तकिये के नीचे रखे और होटल से बाहर आ गया। सिगरेट, चाय-पानी के बाद पता चला अरे मैं तो हनीमून पर आया हूं, ये शादी के बाद मेरा पहला दिन है। मैं वापस होटल लौटा कि वो कहीं बुरा ना मान जाये कि मैं उसे छोड़ सुबह सुबह कहां चला गया।
दोस्त - तो क्या हुआ?
सैफ - होना क्या था, उसने मुझसे कुछ नहीं कहा। वो तो नहा धोकर, सज-संवरकर, नाश्ता कर रही थी।
दोस्त - तो अच्छा हुआ ना, उसे पता ही नहीं चला कि तुमने उसके तकिये के नीचे 1000 रू. रखे थे।
सैफ - यही तो परेशानी की बात है यार, उसने तकिये के नीचे से 700 रू. तो निकाल लिये और 300 मुझे लौटा दिये, बोली - मैं पैसों के मामले में बहुत ही ईमानदार हूं।

2 comments:

  1. मजेदार रहा ये भी....... वह क्या खूब कही.

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  2. वाह वाह वाह एक सांस में पढ़ता ही चला गया...
    कृपया पेज का पृष्ठ भाग और हल्का रखिये तथा अक्षरों को अधिक डार्क रखिये साफ़ साफ़ समझ में नहीं आ रहा है
    हमारी शुभकामनाये आपके साथ है,

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