संता बंता और उसके भाई बंधु एक महात्मा के प्रवचन सुनकर उससे बड़े प्रभावित हुए। सबने मिलकर सोचा कि दुनियां तो फानी है, जिन्दगी आनी जानी है इसलिए दुनियां में कुछ भलाई के काम कर जाना चाहिए।
अगले ही दिन संता, बंता, नत्था, फट्टा सिंह और अन्य सारे सम्बंधीजन मिले। प्रस्ताव रखा गया कि गुरूद्वारे के पीछे पड़ी खाली जमीन पर गन्ने बोये जायें। इससे गुरूद्वारे में आने वाले लोग गन्ने खा सकेंगे, गन्ने का रस पी सकेंगे और शुगर मिल में गन्ने सप्लाई करके आमदनी भी हो जायेगी।
इस पर सब सहमत थे पर जत्था सिंह ने एक विध्नबाधा का उल्लेख किया कि इस जमीन के पास ही दलितों की बस्ती है। गन्ने बोये गये तो वो खेत को मलमूत्र त्याग की जगह बना लेंगे, गन्ने तोड़ के ले जाया करेंगे और बर्बाद करेंगे।
उसी रात अचानक नत्था सिंह, फट्टा सिंह के 25 पचास रिश्तेदार इकट्ठे हुए और उन्होंने दलितों की बस्ती में आग लगा दी।
बस्ती धू धू करके जलने लगी, लोग त्राहि त्राहि कर भाग खड़े हुए। देखते ही देखते बस्ती श्मशान में तब्दील हो गई।
सुबह दलितों की बस्ती से एक व्यक्ति दौड़ता हांफता गुरूद्वारे के संचालक ग्रंथी के पास आया और बोला - महाराज क्या आपका धर्म यही शिक्षा देता है।
ग्रन्थी बोला - और तोड़ो गन्ने .... और जाओ खेतों में हगने मूतने, बुरे काम के बुरे नतीजे तो भुगतने ही पड़ते हैं।
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कंजूस - हस्सूमल दरियानी को बूढ़े होने पर लगा की स्किन पर झुर्रिया पड़ रही हैं प्लास्टिक सर्जरी करवा लेनी चाहिये और वो डॉक्टर के पास गया।
हस्सूमल - डॉ. साहब प्लास्टिक सर्जरी पर कितना पैसा लगेगा।
डॉक्टर - पांच लाख रूपये।
हस्सूमल - क्यों कम में काम नहीं हो सकता, अगर प्लास्टिक मैं ही ले आऊं तो?
डॉक्टर - फिर तो जी कुछ भी नहीं लगना।
हस्सूमल - वो कैसे डॉक्टर साहब।
डॉक्टर - आप ही प्लास्टिक लाना और गर्म करके चिपका भी लेना।
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एक पगले को प्यास लगी उसने गली के पास ही एक गड्ढा देखा जहां पानी का पाईप लीक कर रहा था और गड्ढे में पानी भरा था।
तभी तरला दलाल वहां से गुजरीं और 21वीं सदी में मानव की ऐसा हालत देख बोली - भई! ये पानी बहुत गंदा है, यहां से पानी मत पियो, मैं तुम्हें अपने घर से पानी लाकर देती हूं।
पागल बोला - नहीं जी आप झूठ बोल रही हैं।
तरला दलाल - मैं क्यों झूठ बोलूंगी तुमसे, तुम्हें कैसे लगा कि मैं झूठ बोलती हूं।
पागल बोला - तो बताओ आपका जन्म किस दिन हुआ था।
तरला दलाल - रविवार को।
पागल - देखा मैंने कहा था ना आप बहुत झूठ बोलती हैं, रविवार को तो छुट्टी होती है।
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हिन्दूमुस्िलमसिक्खईसाई सबने सामूहिक प्रयास कर एक बस खरीदी। लॉंचिंग वाले दिन हिन्दू ने बस के अगले भाग पर तिलक किया नारियल फोड़ा, ईसाई ने क्रास का चिन्ह लटका दिया, सिक्ख ने बस के पिछाड़े पर लिखा - "बुरी नजर वाले तेरे बच्चे जिये, बड़े होकर गांजा अफीम और सभी तरह के नशे पियें" पर सबको तब बड़ी हैरानी हुई जब मुसलमान भाई से साइलेंसर की नली 1 इंच काट दी।
भाई मेरे जरा सम्हल कर, राजनीतिक मुद्दे तो ठीक हैं पर धार्मिक मामलों में बातें तूल पकड़ लेती हैं।
ReplyDeleteबढिया चुटकुले। धन्यवाद।
ReplyDeleteha.. ha... maza aa gaya.
ReplyDeleteमजाक मजाक में दलितों पर अच्छा कटाक्ष किया गया है...
ReplyDeleteसमझ में नहीं आता की दलितों की बस्ती जला दी गयी और ये चुटकला बन गया कैसे, पूरी बस्ती शमशान में तब्दील हो गयी ये क्या हंसने वाली बात हुयी।