पैरों की तरह ही पेट और कई तरह के अन्दरूनी और बाहरी अंगों में अल्सर या छाले होते हैं। इनमें कुछ छाले तो शरीर में गलत पदार्थ जाने से होते हैं और कुछ छाले दिमाग में गलत विचार आदि पालने-पोसने से.... तो किसके लिये कब, क्या सही है यह सब जानने के लिये विवेक को काम करने दें। विवेक तब काम करेगा, जब आप तन, मन, मस्तिष्क से र्निभार और शांत हों, यहीं पर हास्य व्यंग्य पुन: अपनी महत्ता जता देता है।
आपको दो चार घड़ी हंसाने के लिये इस बार हम एक ब्लॉग का लिन्क दे रहें हैं, जो हमारा तो नहीं .... पर इस पर हंसनाब्लॉगस्पाटडॉटकॉम से भी कुछ चुटकुले हैं। तो हंसिये, छालों से बचिये, बीमारियों के चक्कर में ना फंसिये। लिन्क ये है* http://jokescentral.blogspot.com/
बहुत ही अच्छा पोस्ट है .
ReplyDeleteसलाम.
आप हंसाते रहिये ,पुण्य कमाते रहिये.
इस गली में उपदेश मिला ! हंसी है दूसरे गली ! ठीक है ढूंढते हैं..
ReplyDeleteजी , हंसी के आप द्वारा बताये घर तलाशते हैं. धन्यवाद.
ReplyDeleteआपका दिया लिंक देखते हैं !
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